150 करोड़ डॉलर की इस परियोजना पर अमेरिकी नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) मिलकर काम कर रहे हैं।