स्त्री "श्री"हुआ करती है जो समाज की संपन्नता का प्रतीक है - साध्वी आणिमा भारती जी
नारी की इस कथा के बारे में श्री आशुतोष महाराज जी बताते हैं इसका जिम्मेदार एक तो नारी स्वयं है और दूसरा समाज समाज नारी को कभी भी बराबर का स्थान नहीं दे पाया ।आधी आबादी होने के बावजूद भी नारी सेकंड सिटीजन अर्थात दूसरे दर्जे पर ही रहते हैं। इसलिए विश्व शांति के लिए नारी को समानता व सम्मान दिलाना एक अहम सीढ़ी है जो एक क्रांति का आवाहन करती है हमें इस आवाहँ को स्वीकार करना ही होगा और दूसरा नारी को अपने वास्तविक रूप को जानना होगा ,क्योंकि जिस समय नारी अपने वास्तविक स्वरूप को जान जाती है तो वह जान जाती है वह मात्र अबला स्त्री नहीं है ।और इस समाज को अज्ञानता की बेड़ियों से बाहर निकालने के लिए वह ब्रह्मवादिनी भी बन सकती है। इसीलिए जब जब हम लोग एक पुरातन इतिहास की तरफ देखते हैं चाहे वह मैना और चाहे वह गंधर्व सुकेतु है इन्होंने जब जब उस ईश्वर से मांगा तो कन्या रत्न की मांग की। इसलिए आज पार्वती प्रसंग के मध्यम से हमें भी नारी की महिमा को समझना है।
जालंधर :- दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से तीन दिवसीय शिव कथा का आयोजन शिव बाड़ी मंदिर मखदुमपुर में किया गया। जिसमें श्री आशुतोष महाराज की शिष्या साध्वी आणिमा भारती जी ने अपने विचारों के माध्यम से बताया की श्री महाराज जी ने नारी को एक ओजस्वी, महान मार्गदर्शक व ब्रह्मवादिनी रूप में उजागर किया। जिसे धर्म वाहन करने का पूर्ण अधिकार है नारी एक महिमा शाली वरदान है । स्त्री "श्री"हुआ करती है जो समाज की संपन्नता का प्रतीक है ।भगवान शंकर महर्षि गर्ग को बताते हैं " "जहां सर्वगुण संपन्ना नारी निवास करती है कोटि देवता भी उस स्थान का त्याग नहीं कर पाते।
यूं तो स्त्री शब्द के अनेक अनेक प्रायवाची शब्द निकलते हैं ,नारीत्व के जो गरिमा को दर्शाते हैं ।सर्वप्रथम स्त्री शब्द को देखे श्रेष्ठ धातु से उत्पन्न होता है जिसका अर्थ विस्तार और फैलाव ।विनोबा भावे जी के अनुसार विस्तार प्रेम स्नेह और ममता का है इसलिए उन्होंने एक स्त्री को सामाजिक माता का दर्जा भी दिया l जो पूजा योग्य है ,वह नारी है ।ऋग्वेद में नारी को मीणा के नाम से संबोधित किया ।महर्षि याद आने का जो सम्माननीय आदरणीय है वह मीना है और इसी के साथ-साथ नारी शब्द के भी अनेका अनेक मार्मिक अर्थ है अतः नारी को यह सब विश्लेषण दिए गए लेकिन नारी की इतनी ओजस्वी परिभाषा दिखने के बावजूद भी आज की वर्तमान नारी की परिभाषा को यदि देखा जाए तो कुछ और ही अर्थ निकल कर सामने आते हैं ।
देखो वीडियो :-
नारी की इस कथा के बारे में श्री आशुतोष महाराज जी बताते हैं इसका जिम्मेदार एक तो नारी स्वयं है और दूसरा समाज समाज नारी को कभी भी बराबर का स्थान नहीं दे पाया ।आधी आबादी होने के बावजूद भी नारी सेकंड सिटीजन अर्थात दूसरे दर्जे पर ही रहते हैं। इसलिए विश्व शांति के लिए नारी को समानता व सम्मान दिलाना एक अहम सीढ़ी है जो एक क्रांति का आवाहन करती है हमें इस आवाहँ को स्वीकार करना ही होगा और दूसरा नारी को अपने वास्तविक रूप को जानना होगा ,क्योंकि जिस समय नारी अपने वास्तविक स्वरूप को जान जाती है तो वह जान जाती है वह मात्र अबला स्त्री नहीं है ।और इस समाज को अज्ञानता की बेड़ियों से बाहर निकालने के लिए वह ब्रह्मवादिनी भी बन सकती है। इसीलिए जब जब हम लोग एक पुरातन इतिहास की तरफ देखते हैं चाहे वह मैना और चाहे वह गंधर्व सुकेतु है इन्होंने जब जब उस ईश्वर से मांगा तो कन्या रत्न की मांग की। इसलिए आज पार्वती प्रसंग के मध्यम से हमें भी नारी की महिमा को समझना है।
Shri Krishna Janmashtami
by DJJS 18 Aug -19 Aug
Venue: DDA Ground, Sec - 10, Dwarka, New Delhi, Delhi, India
Timing: 7pm-11pm
Contact: +91-9910489747
Shri Krishna Janmashtami
https://youtu.be/6G3kVRPiCQY
Shri Krishna Janmashtami
Watch Live webstream
Youtube/djjsworld
https://www.youtube.com/c/djjsworld/featured