दिलप्रीत कौर के पिता रब्बी सिंह किसान हैं और माता सरबजीत कौर गृहिणी हैं। दोनों की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। उन्हें अपनी बेटी पर नाज है।
पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड की 10वीं की परीक्षा में संगरूर का दबदबा रहा। जिले की दो छात्राओं ने दूसरा और तीसरा स्थान हासिल कर अपने अभिभावकों, स्कूल और क्षेत्र का नाम चमकाया है। दोनों होनहार बेटियों का लक्ष्य डॉक्टर बनकर लोगों की सेवा करना है। गांव कांझला के गुरु तेग बहादुर सीनियर सेकेंडरी स्कूल की छात्रा दिलप्रीत कौर ने राज्यभर में दूसरा स्थान हासिल किया है। दिलप्रीत कौर ने 650 अंकों में 644 अंक हासिल किए हैं।
जैसे ही दिलप्रीत कौर के दूसरे स्थान पर आने की सूचना उनके घर पहुंची तो पूरा परिवार खुशी से झूम उठा और बधाई देने वालों का तांता लग गया। दिलप्रीत कौर ने कहा कि इससे पहले उसका आठवीं कक्षा में मेरिट में आने का लक्ष्य था लेकिन लॉकडाउन की वजह से सपना अधूरा रह गया था। इस बार मेरिट में आने का लक्ष्य रखा और कड़ी मेहनत की। रोजाना चार से पांच घंटे लगातार पढ़ाई की और अपना लक्ष्य हासिल किया। दिलप्रीत कौर ने बताया कि वह भविष्य में डॉक्टर बनकर लोगों की सेवा करना चाहती हैं। उसने अपनी इस सफलता का श्रेय अपने स्कूल स्टाफ और अभिभावकों को दिया है।
दिलप्रीत कौर के पिता रब्बी सिंह किसान हैं और माता सरबजीत कौर गृहिणी हैं। दोनों की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। उन्हें अपनी बेटी पर नाज है। इसी तरह गांवभुटाल कलां स्थित भुटाल पब्लिक सीनियर सेकेंडरी स्कूल की छात्रा कोमलप्रीत कौर ने पूरे राज्य में तीसरा स्थान हासिल किया है। कोमलप्रीत कौर ने 650 अंकों में 642 अंक हासिल किए हैं।
फोन पर कोमलप्रीत कौर ने बताया कि वह रोजाना 7 से 8 घंटे पढ़ाई करती थीं। कभी ट्यूशन भी नहीं लिया। मेरिट में स्थान हासिल करना सपना था। कोमलप्रीत कौर के पिता तरसेम सिंह भी पेशे से किसान हैं और माता गृहिणी हैं। वह भविष्य में डॉक्टर बनना चाहती हैं। कोमलप्रीत कौर के पिता तरसेम सिंह ने कहा कि उन्हें अपनी बेटी पर गर्व है। कोमलप्रीत बहुत होनहार है और हमने हमेशा उसका हौसला बढ़ाया। इसकी बदौलत आज कोमलप्रीत यह मुकाम हासिल कर पाई।