आप ही सोचिए ईश्वर को आपता काल स्थितियों में सहायता के लिए पुकारना प्रार्थना है ?
दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से बिधिपुर आश्रम में सप्ताहिक सत्संग कार्यक्रम रखा गया । जिसमें श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी सावित्रा भारती जी ने प्रवचन के माध्यम से सैकड़ों भक्तों ने प्रवचनों को श्रवन किया । साध्वी जी ने बताया कि सच्ची प्रार्थना स्तुति तो भक्तों के आभूषण है।
जैसे शरीर के लिए अन्न अनिवार्य है वैसे ही आत्मा के लिए प्रार्थना अनिवार्य है
संसारी व्यक्ति में इन्हें धारण करने की क्षमता कहां । वह तो ईश्वर से जब वार्ता करता है तो या तो वह मांगों की सूची होती है या सौदा ।कभी इंसान भौतिक वस्तुओं के लिए भिक्षा मांगता है तो कभी देहिक सौंदर्य की मांग रखता है ,कभी पुत्र प्राप्ति के लिए झोली फैलाता है तो ,कभी व्यापार में मुनाफे के लिए ,कभी शक्तिशाली होने के लिए भिक्षा पात्र बढ़ाता है तो कभी मोह _संबंधों की पूर्ति के लिए ,बस वह ईश्वर से मांगता ही मांगता है ।
जब गम की बदली छाई तो ईश्वर आगे गिड़गिड़ाना लगे क्या यह प्रार्थना है ?
आप ही सोचिए ईश्वर को आपता काल स्थितियों में सहायता के लिए पुकारना प्रार्थना है ? जब सुख समृद्धि के पल आए तो ईश्वर को भुला दिया जाएगा। जब गम की बदली छाई तो ईश्वर आगे गिड़गिड़ाना लगे क्या यह प्रार्थना है ? नहीं एक सच्चा भक्त अपनी प्रार्थना में ईश्वर को ही मांगता है
क्योंकि वह अच्छी तरह से जानता है कि उसके जीवन का लक्ष्य प्रभु का दर्शन है इसलिए प्रभु की प्राप्ति के लिए ही वह नित्य प्रतिदिन प्रार्थना करता है , ऐसी ही हम सबकी प्रार्थना होनी चाहिए l तभी तो हमारे संत महापुरुषों ने कहा है कि जैसे शरीर के लिए अन्न अनिवार्य है वैसे ही आत्मा के लिए प्रार्थना अनिवार्य है । असल में तो शरीर के लिए अन् इतना अनिवार्य नहीं जितनी आत्मा के लिए प्रार्थना क्योंकि शरीर को स्वस्थ रखने के लिए निराहार रहना ही अवश्य है परंतु प्रार्थना का उपवास तो हो ही नहीं सकता। प्रार्थना तो प्रतिदिन करनी अवश्य आवश्यक है अंत में साध्वी रीना भारती जी और रीता भारती जी ने सुंदर भजनों का गायन किया।