श्री राम नवमी के उपलक्ष्य में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान एवं श्री राम मंदिर प्रबंधक कमेटी द्वारा श्री राम मंदिर, अहियापुर में चार दिवसीय श्रीराम कथा का आयोजन किया गया है। 

अहियापुर ( जालंधर ):-कथा के तीसरे दिवस में कथा व्यास साधवी सुश्री दिवेशा भारती जी ने बताया कि अपने जीवन संग्राम की प्रत्येक विपरीत परिस्थिति के विरोध में एक मनुष्य तब ही गांडीव उठा सकता है जब उसके भीतर बुरी वृत्तियों का नाश हो जाए और इसके लिए एक तत्वदर्शी  सतगुरु का होना अनिवार्य हैl दलदल में फंसे किसी व्यक्ति को वही बाहर निकाल सकता है जो स्वयं उस दलदल के बाहर हो और पीड़ित व्यक्ति को खींच निकालने का जिसके पास सामर्थ्य हो l संसार की माया भी एक दलदल ही है और श्री राम मायापति होने के कारण माया से सर्वथा निर्लिप्त हैं यही कारण था कि ब्रह्म ज्ञान द्वारा प्रभु अपने भक्तों को  अज्ञान रूपी दलदल से बाहर निकाल लाए l 

  साध्वी जी ने बताया कि यदि हमने अपने परम लक्ष्य परमात्मा को प्राप्त करना है तो आंतरिक ज्ञान को पाना होगाl आदि गुरू शंकराचार्य जी इस बात पर प्रकाश डालते हुए कहते है कि ना सांख्य योग से, कर्म से, अष्टांग योग से ना किसी विद्या से मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है l इसके लिए तो एक ब्रह्मावेता गुरु की आवश्यकता है जो घट के भीतर ही ब्रह्म का साक्षात्कार करा दे मोक्ष प्राप्ति के लिए अन्य कोई साधन नहीं है l अर्जुन को भगवान श्री कृष्ण की शरण मिली तो उसने उन्नति के शिखरों को प्राप्त किया दूसरी ओर कृपाचार्य द्रोणाचार्य आदि पारंगत गुरुओं और सेनानायकों का साथ पाकर भी दुर्योधन पतन के दलदल में धंसा ही चला गया, कारण बाहरी शास्त्र व शस्त्र विद्या में निपुण यह शिक्षक दुर्योधन को बाहरी लक्ष्य भेदना तो सिखा पाए परंतु आत्म ज्ञान रूपी तीर द्वारा परम लक्ष्य परब्रह्मा को भेदना नहीं l

 


जिंदगी में एक गुरु की कृपा को प्राप्त कर अपने भीतर से शाश्वत भक्ति को जाने और अपनी इच्छाओं को खत्म कर केवल अपनी मंजिल को प्राप्त करने की ओर अग्रसर हो यही हमारे वेदों का ग्रंथों का सार है।

महादानी कर्ण ब्रह्मास्त्र ज्ञाता अश्वथामा भीषण प्रतिज्ञा धारी भीष्म भी मिलकर दुर्योधन की रक्षा नहीं कर पाए जबकि ब्रह्मावेता शास्त्र भगवान श्री कृष्ण की शरण को प्राप्त किया अर्जुन ने और उसकी जीत हुई और इस घटना के द्वारा हमें पता चलता है कि जीवन में जब एक तत्व वेता गुरु होंगे तो एक भक्तों के जीवन में सफलता ही सफलता होगी और ऐसे ही साध्वी जी ने केवट की जीवन गाथा को प्रस्तुत कर बताया कि किस प्रकार से केवट जो है भगवान श्री राम जी के वास्तविक मर्म को जानते थे क्योंकि वह ब्रह्म ज्ञानी थे उन्होंने श्री राम भगवान जी की कृपा के द्वारा भीतर से ब्रह्म का दर्शन कर लिया था और जब प्रभु श्री राम जी उन्हें कहते हैं की केवट तुमने मुझे गंगा नदी से पार करवाया है मैं तुझ पर बहुत प्रसन्न हूं मांगो क्या मांगते हो तब केवट ने भगवान श्री राम जी के चरणों में आग्रह किया एक प्रार्थना की कि प्रभु जिस प्रकार से मैंने आपको इस सरिता से पार करवाया है जिंदगी के अंतिम पलों में आप मुझे संसार सागर से पार कर देना केवट जी का जीवन चरित्र प्रत्येक मानव को समझा रहा है कि जिंदगी में एक गुरु की कृपा को प्राप्त कर अपने भीतर से शाश्वत भक्ति को जाने और अपनी इच्छाओं को खत्म कर केवल अपनी मंजिल को प्राप्त करने की ओर अग्रसर हो यही हमारे वेदों का ग्रंथों का सार है। कथा की सभा प्रभु की आरती के साथ संपन्न हुई। कथा में विशेष रूप से विधायक स. जसवीर सिंह राजा गिल, श्री विजय सांपला (chairman SC commission of India) ने शिरकत की। इस दौरान राम मंदिर कमेटी के प्रधान ओम प्रकाश पुरी, जगजीवन जग्गी पार्षद, डा. केवल कृष्ण, प्रेम जैन, सचिनपुरी, विक्की, मनीष सोंधी, प्रेम पड़वाल, बबलू मदान, बलजीत सैनी, फुंटी चावला, राजन सोंधी, अनिल कुमार गोरा, प्रिंस जॉली, मोहित चावला, तारी मदान, देवा नरिंदर कौर, मोनिका सोंधी, सतीश वैद, विनोद बॉबी जसरा, अशोक निझावन, सतनाम सिंह नामधारी, गुरमुख सिंह नामधारी, प्रमोद चावला, राजू जसरा, बिट्टू भट्टी, प्रवीण आनंद, उमा आनंद, पंडित संबोध शास्त्री, रंजन संघर, सुरिंदर सहगल, प्रिंस नामधारी, संजीव तलवार, श्याम सुंदर, रीटा, हीरा पुरी, रमेश चंद्र शर्मा, ऋषभ जैन, तरसेम लाल, विजय कुमार, विद्या देवी, रमेश जैन सहित असंख्य प्रभु भक्त उपस्थित रहे।