*हम दीये जलाकर,जोत जगा कर,घंटियां बजाकर दीवाली* *मनाते है।लेकिन सन्तों की दीवाली बिलकुल अलग होती हैं।*
*सन्त अन्तर्मन होकर सिमरन मे लीन होकर हर रोज दीवाली मनाते है।*
*सन्तों के मस्तक मे दिव्य ज्योति हर पल आलोकिक प्रकाश फैलाती है।अनहद नाद हर समय धुनकारे देता है।सन्तों की दीवाली हर रोज होती है।इसके लिए उन्हे किसी खास दिन का इन्तजार नही करना पडता।*
*सन्त दीवाली नित करे सत लोक के माही*🙏🏻
*श्री राधे*